Thursday 3 August 2017

अगर जीवन में सफल होना है तो इन ६ गुणों का कतई त्याग ना करे - विदुर निति



विदुर जिनको अर्थ कुशल, बुद्धिमान अथवा मनीषी मन जाता है वे हिन्दू ग्रन्थ महाभारत के केन्द्रिय पात्रों में से एक हैं। वो हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवो और पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है। महात्मा विदुर जी ने अपनी नीतियों में बहोत सी महत्वपूर्ण बाते बताई है,
आज मैं आप को महात्मा विदुर जी ने बताये हुए ६ गुन्नो के बारे में बताने जा रहा हु जिनका त्याग नहीं करना चाहिए
षडेव तु गुणाः पुंसा न हातव्याः कदाचन। सत्यं दानमनालस्यमनसूया क्षमा धृतिः ॥
आईये एक एक के बारे में जानते है
१.       सच्चाई: महात्मा विदुर कहते है सत्य का कभी भी त्याग नहीं करना चहिये, जीवन में हमेशा सच का ही साथ देना चाहिए, क्यूँ की अंत में जित हमेशा सत्य की ही होती है, असत्य बोलने वाला मनुष्य थोड़े समय के लिए संतुष्ट जरुर होता है लेकिन अंत में उसे निराशा ही मिलती है, इसलिए हमेशा ध्यान रखे सत्य का त्याग कतई ना करे.
२.      दानशीलता: महात्मा विदुर कहते है दान एक पुन्य है और दान करने से मनुष्य की समाज में शोभा बढती है. दान करने वाले मनुष्य को सर्वत्र पूजा जाता है अतः उसका मान सम्मान भी किया जाता है. हमेशा अपनी शक्ति के अनुसार दान करते रहना चाहिए, दान करने पर मनुष्य मन हमेशा प्रसन्न रहता है और ऐसे लोगो को स्वर्ग की प्राप्ति होती है
३.      निरालस्य: महात्मा विदुर जी कहते है आलसी व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं होता, जो स्वयं कष्ट ना कर हमेशा किस्मत से कुछ मिल जाए ऐसी आशा रखकर स्वस्थ बैठ जाता है वो जीवन में कभी सफल नहीं होता. मनुष्य हमेशा आलस्य का द्याग कर म्हणत करनी चाहिए. म्हणत करने वाले मनुष्य को एक न एक दिन अवश्य सफलता प्राप्त होती है
४.      द्वेषहीनता : महात्मा विदुर कहते है द्वेष करने वाला मानुष कभी सुखी नहीं रहता, वह अपना समय हमेशा दुसरो की बुराईया निकलने में गवाता है और हमेशा ही दुसरो का द्वेष करता है, अतः मनुष्य के द्वेषहिन् रहना चाहिए, द्वेष करने वाले मनुष्य के साथ कोई भी रहना पसंद नहीं करता और ऐसे लोगो का कोई सम्मान नहीं करता
५.      क्षमाशीलता : क्षमा करना ज्ञानी लोगो का गुण है, जो सच्चे ज्ञानी होते जो ताप्स्वी होते है वो अहंकार के अधीन होकर किसी के ऊपर क्रोध नहीं करते. वो हमेशा ही लोगो को क्षमा कर उनको अपना लेते है. अगर कोई भूल से कुछ दुष्कृत्य करलेता है और बाद में पछताता है तो उसे क्षमा करना चाहिए ना की क्रोध में आकर उसे दंड देना चाहिए.
६.      धैर्य : महात्मा विदुर जी कहते है, धैर्यवान मनुष्य किसी भी संकट की घडी में अपना धैर्य नहीं छोड़ता, वो भीषण आपत्ति का सामना भी धैर्य से करता है और अंत में उसपर विजय प्राप्त करलेता है. जो लोग धैर्यवान नहीं होते वो जीवन में कभी सफल नहीं होते, एक बार किसी काम असफल होने के बाद वह पुनः उस काम हात में लेने का सहस नहीं रखते और विचलित होकर असफलता का भोग बनजाते है. अतः किसी भी मनुष्य को संकट की घडी में धैर्य का त्याग नहीं करना चहिये